एक बड़े सेक्स उद्योग, विशेष रूप से पोर्न उद्योग वाले देश जापान के बारे में आम सोच यही रहेगी कि यह देश एक सेक्स-पॉजिटिव देश है। लेकिन वास्तविकता इस चकाचौंध वाली छवि से कोसों दूर है; यहां पर सेक्स का महत्व सिर्फ संतानोत्पति तक ही है और जन्म नियंत्रण उपायों तक पहुंच एक बड़ी समस्या है। यह समस्या इतनी गंभीर है कि इस देश में यौन और प्रजनन अधिकारों की मांग करने वाली महिलाओं को उनके विचारों के लिए अपमानित किया जाता है।
‘जापान, 1999 में गर्भनिरोधक गोलियों के उपयोग को मंजूरी देने वाला अंतिम औद्योगिक देश था । यदि आप उस समय के लोगों के विचार पढ़ेंगे, तो आपको पता लगेगा कि पुरुषों ने इस निर्णय को महिलाओं द्वारा अपने शरीर पर अधिकार कायम करने के समान माना था। उनका मानना था कि इससे महिलाएं बहुत से साथियों के साथ यौन संबंध बनाने के लिए प्रेरित होंगी क्योंकि उन्हें अब गर्भधारण का डर नहीं रहेगा,’ एक्टिविस्ट कज़ुको फुकुदा बताती है, वे इसके पक्ष में अपनी स्नातक की थीसिसि को उद्धृत करती है, जहां उन्होंने इन प्रतिक्रियाओं का अध्ययन किया था।
फुकुदा नंदेनैनो की संस्थापक है – यह एक जापानी यौन और प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकार (SRHR) संगठन है, जो व्यापक यौन शिक्षा, सस्ती कीमत पर आधुनिक गर्भ निरोधकों की एक विस्तृत विविधता की उपलब्धता, मैत्रीपूर्ण यौन स्वास्थ्य सेवाओं और गर्भपात की गोली तक पहुंच जैसी चीजों की मांग करता है।
यौन स्वास्थ्य
अपने शोध के दौरान, फुकुदा को अक्सर निम्न प्रकार की बातों का सामना करना पड़ा, ‘क्या यह आपकी बेटी या पत्नी के लिए भी सही रहेगा?’, ‘इससे महिलाएं और अधिक सेक्स करेगी जो उनमें यौन संचरित रोगों की संभावनाएं बढ़ा देगा’ और ‘यह उस युग की समाप्ति है जब महिला के गर्भधारण पर पुरुष का नियंत्रण होता था।’ इससे पता चलता है कि जापान में जन्म नियंत्रण की अवधारणा लैंगिक और पितृसत्तात्मकता से अधिक जुड़ी है तथा स्वास्थ्य से इसका कम संबंध है।
तब से लेकर अब तक, हालातों में कोई बहुत अधिक परिवर्तन नहीं आया है। फुकुदा बताती है कि जापान में SRHR संगठन द्वारा किए गए 2019 के सर्वेक्षण में, सात में से एक पुरुष ने कहा कि गर्भनिरोधक उपायों का उपयोग करने वाली महिलाएं ‘वेश्या’ या ‘अजीब’ होती हैं। ‘महिलाओं के लिए, गर्भनिरोधक सिर्फ उनके शरीर की रक्षा के बारे में है। लेकिन समाज इन फैसलों को सेक्स से जोड़ कर देखता और महिलाओं के बारे में गलत धारणाएं बनाता है; यह महिलाओं के यौन स्वास्थ्य के लिए एक बाधा है,’ वह तर्क देती है।
इसी प्रकार से फुकुदा बताती है कि 2019 में आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियों (ECP) की उपलब्धता के बारे में एक बड़ी बहस हुई थी। विशेषज्ञों के एक समूह – जिसमें 20 पुरुष और केवल 1 महिला शामिल थी – ने इसकी आसान उपलब्धता के दुष्प्रभावों के बारे में चर्चा की थी।
‘कुछ लोगों ने कहा कि ECP यौन हमले से बचे लोगों के लिए काम की चीज हो सकती है, लेकिन इसकी मुक्त और आसान उपलब्धता, बहुत सी समस्याओं को जन्म दे सकती है। महिलाएं – जानकारी की कमी के कारण – कंडोम के बजाय अक्सर इसका इस्तेमाल कर सकती हैं, जिससे यौन संचारित संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। या कि महिलाएं इसे फिर से बेचना शुरू कर सकती हैं; इसका हल उन्होंने यह निकाला कि महिलाओं को वह गोली फार्मासिस्ट के सामने ही खानी होगी।‘ वह बताती है।
फुकुदा का कहना है कि इस तरह के विचार और फैसले महिलाओं की एजेंसी को सीमित करते हैं।
पहुंच और जागरूकता
फुकुदा स्वीडन में रह चुकी हैं जहां उन्हें यौन और प्रजनन स्वास्थ्य सेवा तक आसान पहुंच मिलती थी। वह जानती थी कि इस संबंध में जापान कितना पिछड़ा हुआ है। ‘जब मैं विदेशी सरकारों को गर्भनिरोधकों के उपयोग के लिए वित्तपोषण करते हुए देखती हूं तो मुझे सुखद आश्चर्य होता है। एक जापानी के रूप में, मुझे उम्मीद नहीं है कि सरकार ऐसे लोगों का समर्थन करेगी जो यौन संबंध बनाना चाहते हैं, लेकिन बच्चा पैदा नहीं करना चाहते।’ वह स्वीकार करती है। फुकुदा बताती है कि इस तरह के प्रयासों के लिए हुए खर्च को भी कोई जनसमर्थन प्राप्त नहीं होगा।
फुकुदा बताती है कि जापान में उच्च माध्यमिक स्तर तक यौन शिक्षा की व्यवस्था न होने का एक बड़ा कारण लोगों की इस प्रकार की मानसिकता ही है। ‘लोगों का मानना है कि उच्च माध्यमिक स्कूल स्तर के छात्रों को सेक्स करने या यौन संबंध बनाने से दूर रहना चाहिए। और यह विश्वास बहुत मजबूत है,’ वह बताती है, साथ ही वह इस बात पर जोर देती है कि महिलाओं के लिए वास्तविक स्थिति बहुत अलग है।
उचित यौन शिक्षा की अनुपस्थिति के कारण हुई इस ज्ञान की कमी की पूर्ति पोर्न तथा दोस्तों से मिले अधकचरे ज्ञान से की जाती है। लेकिन कई देशों की तरह, जापान में बनाई जाने वाली पोर्न वास्तविकता से बहुत दूर है और कुछ मामलों में, समस्या की जननी भी है। ‘जापानी पोर्न फिल्मों में यह आम दृश्य है, महिलाएं कहती रहती हैं ‘प्लीज मत करो’, ‘नहीं,नहीं,नहीं’, और पुरुष उस पर दबाव डालता रहता है, और धीरे-धीरे महिला को मजा आने लग जाता है।’ फुकुदा यह बताते हुए कहती है कि यह वहां की महिलाओं की आम स्थिति को व्यक्त करता है, उन्हें नहीं कहना ही होता है, नहीं तो उन्हें ‘वेश्या’ का दर्जा दे दिया जाएगा।
‘सहमति, महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए एक धुंधली, भ्रामक अवधारणा बन जाती है। हमारे यहां एक पुरानी कहावत है: ‘नहीं, नहीं, का मतलब हां, हां है’ और पुरुषों को एक प्रकार से जोर जबरदस्ती करने के लिए प्रोग्राम किया गया है,’ वह शिकायती लहजे में बताती है।
सहमति और आनंद
ऐसी महिलाएं जो पोर्न में इस तरह की भूमिका नहीं निभाती है और सक्रिय रूप से सेक्स का आनंद लेती हैं, उनके वीडियो को ‘शर्मनाक लड़कियों’ के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। ‘ये महिलाएं आनंद चाहती है, सेक्स के बारे में खुलापन रखती है और ‘ना’ कहना पसंद नहीं करती,’ फुकुदा बताती है।
इस स्थिति को देखते हुए, फुकुदा कहती है, कुछ लोगों ने हाल ही में सहमति के महत्व के बारे में बात करना शुरू कर दिया है। लेकिन यह समस्या कहीं अधिक व्याप्त है और आनंद तथा पितृसत्ता जैसे बहुत से सामाजिक पहलुओं से भी संबंध रखती है।
फुकुदा बताती है कि यदि हम यौन सुख की बात करते हैं, तो यह काफी हद तक केवल पुरुषों के लिए उचित माना जाता है। और वह भी व्यावसायिक अर्थों में। ऊपर बताए अनुसार, यह महिलाओं के लिए नहीं है, और यदि कोई महिला इसे प्राप्त करने का प्रयास करती है तो उसे वेश्या का दर्जा दे दिया जाता है।
दंपत्तियों की बात करें तो यह पूरी तरह से एक अलग मुद्दे में बदल जाता है। फुकुदा बताती है कि, ‘यदि आप जापान में यौन समस्याओं के बारे में खोज करते हैं, तो सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है रिश्तों में सेक्स का न होना। बहुत से विवाहित जोड़े बिल्कुल भी सेक्स नहीं करते हैं, या फिर बहुत कम सेक्स करते हैं; डेट करने वाले लोगों की संख्या भी बहुत कम है इसलिए जोड़ों या दंपत्तियों के मामले में, महिलाओं के लिए यौन सुख उपलब्ध नहीं होता है।’
लैंगिक भूमिकाएं
इस समस्या का एक बड़ा संबंध हमारे समाज की संरचना से भी है। समाज एक कड़े पदानुक्रम का पालन करता है जिसमें पुरुषों को महिलाओं से उपर स्थान दिया गया है। ‘स्त्री विरोध की अवधारणा काफी आम और प्रबल है; समाचार या टीवी शो में, महिलाएं हमेशा बैठी रहती हैं, मुस्कुराती हैं और सिर हिलाती हैं और विशेषज्ञ हमेशा कोई न कोई पुरुष ही होता है। हमें स्त्री विरोध या मीज़ोगायनी के बारे में समझने की आवश्यकता है। और जैसे ही हम इस बारे में समझ जाते हैं, हम अपने ही जीवन से भयभीत होने लग जाते हैं, क्योंकि यह विरोध हर जगह व्याप्त है,’ फुकुदा बताती है।
लेकिन आशा की एक किरण बाकी है। जापान और दक्षिण कोरिया के बीच सांस्कृतिक और आर्थिक समानताओं को देखते हुए, फुकुदा का कहना है कि जापान अपने पड़ोसी देश से सीख सकता है। वह कहती हैं कि दक्षिण कोरिया उसके अपने देश की तुलना में महिलाओं के स्वास्थ्य और लैंगिक समानता पर अधिक ध्यान देता है। ‘एनिमे, कार तथा उद्योगों की चकाचौंध में ये सभी मुद्दे कहीं खो जाते हैं, लेकिन हमें इस बारे में ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता है,’ वह आग्रह करती है और लोगों को दो महत्वपूर्ण याचिकाओं आधुनिक गर्भ निरोधकों तक आसान पहुंच और आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियां, पर हस्ताक्षर करने के लिए आमंत्रित करती है।
यह जापान में गर्भनिरोधकों के उपयोग के बारे में एक दो-भागों की श्रृंखला का भाग II है। आप भाग I यहां पढ़ सकते हैं।
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लेखक के बारे में: सेसिलिया यौन और प्रजनन अधिकारों के बारे में जानकारी रखती है, और फाइंड माई मेथड के लिए प्रोग्राम मैनेजर के रूप में काम करती है।